कैसे हुआ बजरंग बलि का जन्म और क्यों रखा गया उनका नाम हनुमान, जानिए हनुमानजी की जन्म कथा |
शंकर सुमन केसरीनंदन, बजरंगबली, मारुतिनंदन, पवनपुत्र, अंजनी पुत्र।
संकट मोचन हनुमान जी की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हनुमान जी की जन्म कथा और बजरंग बलि की अमर कथा ।
हनुमानजी की जन्म कथा – Birth Story of Lord Hanuman Ji :-
भगवान श्री राम भक्त, हनुमान जी को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता और भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है।
हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा वनराज केसरी और माता अंजना ने भगवान Shiv की घोर तपस्या ) की थी।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था, कि वह अंजना के कोख से जन्म लेंगे।
ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार, बजरंगबली का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था।
हनुमान को ‘बजरंगबली’ यानी ‘शक्ति के देवता’ कहा जाता है।
उनको ‘संकटमोचन भी’ कहा जाता है यानी बुराइयों / खतरों का नाश करने वाला।
Hindu भक्तों का मानना है, कि हनुमान एक ऐसे भगवान हैं, जो अपने भक्तों के रक्षक हैं।
महान महाकाव्य ‘Ramayana’, हनुमान को त्रेता युग में भगवान राम उर्फ भगवान विष्णु के एक महान भक्त (राम दूत) के रूप में गौरवान्वित करती है।
हनुमान ब्रह्मचारी थे और वे ‘चिरंजीवी‘ भी माने जाते थे।
माता Anjani और पिता Keshri से जन्मे हनुमान को ‘केसरीनंदन’ भी कहा जाता है।
उन्हें ‘वायु पुत्र’ यानी पवन देवता का बेटा भी कहा जाता है।
Ramayan के साक्ष्य और इसी तरह के पौराणिक तथ्यों के आधार पर हनुमान जी को जाना जाता है।
हनुमान जी के जन्म की Story बहुत रोचक है।
माना जाता है, कि उनका जन्म कोई साधारण संयोग नहीं था।
बल्कि देवतागण, नक्षत्र और सारे भगवान के आशीर्वाद से पृथ्वी से पाप का विनाश करने के लिए हुआ था।
हनुमान अंजनी सूत् र्वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥
हनुमानजी की जन्म कथा – Birth Story of Lord Hanuman Ji
मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी को यह वरदान मिला हुआ था, कि उनका होने वाला पुत्र शिव का अंश होगा।
इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि जब BAJRANG BALI का जन्म हुआ था।
उसी समय RAVAN के घर भी एक पुत्र ने जन्म लिया था।
यह संयोग दुनिया में अच्छाई और बुराई का संतुलन बनाए रखने के लिए हुआ था।
बात सतयुग की है, जब अयोध्या के राजा दशरथ की तीनों पत्नियों की गोद सूनी थी।
जिस कारण राजा दशरथ ने अपनी पत्नियों के साथ पुत्र प्राप्ति के लिए शिव-यज्ञ ऋंग ऋषि द्वारा सम्पन किया गया।
इस यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई, उसे तीनों रानियों को खाने के लिए दी गई।
इसी खीर में से एक छोटा-सा अंश एक चिड़िया अपने साथ एक जगह ले गयी।
जहा माता अंजनी एक जंगल में बैठकर पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर रही थीं।
वह हाथ जोड़कर और आंखें बंद करके आराधना में लीन थी, तभी उनकी सामने रखी कटोरी में खीर आकर गिरी।
माता अंजनी ने जब उस खीर को देखा, तो उन्होंने उसे शिवजी का प्रसाद समझ कर सेवन कर लिया।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
सायंकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
इस प्रकार भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ था, केसरीनंदन हनुमान का जन्म।
तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी हनुमान जी के जन्म के बारे में जानकारी जरूर पसंद आयी होगी अगर आप यह जानकारी अच्छी लगी हे तो आप यह अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर कर सकते है।
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